नवोदय पूरी तैयारी के बाद, ये बातें रखें याद। भाग – 1


जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा कक्षा छठवीं में प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारी करने वाले छोटे-छोटे बच्चों का उम्र लगभग 11-12 वर्ष की होती है। इस छोटी सी उम्र में इन बच्चों से सभी माता-पिता, गुरु या उनके परिवार वाले उनसे परीक्षा में चयन के लिए 100% प्रश्न हल करने की दबाव बनाए रहते हैं। बच्चा पूरी तरह से तैयार होने के बावजूद जब उसका टेस्ट लिया जाता है तो वह इस दबाव के कारण घबराहट में बहुत सारे गलतियां कर बैठता है। जैसे समय प्रबंधन, ओवर स्पीड, एकाग्रता भंग, अति आत्मविश्वास, बैचैनी, डर, भूलभूलैया, अध्ययन चूक आदि। इन गलतियों के कारण उसके कुछ या बहुत कुछ प्रश्न गलत हो जाते हैं जो वह जानता था या हल कर सकता था।

आज इस पोस्ट के माध्यम से हम इन्हीं गलतियों के बारे में चर्चा करेंगे जिससे बच्चे को स्वयं मनन करने की अपेक्षा उनके माता-पिता, अभिभावक, गुरु या परिवार वाले बच्चों को एक-एक कर समझाएं ताकि बच्चा अधिक से अधिक प्रश्नों को हल कर सके। तथा उन प्रश्नों को हल कर सके जिनको वह पूरी तरह से जानता है ताकि जानते हुए कोई भी प्रश्न उससे गलती ना हो। प्राय देखा गया है कि बच्चा परीक्षा हल से निकलते ही कुछ प्रश्न गलती हो जाने पर यह कहता है कि इसको तो मैं जानता था गलती क्यों हो गया? तो चर्चा में उपर्युक्त एक-एक बिंदु पर कुछ बातें आपके सामने रखेंगे जिसको आपको आप परीक्षा लिए बचे हुए कुछ दिनों में बच्चों को समझाते हुए उसे परीक्षा के लिए पूरी तरह तैयार कर सकते हैं।

परीक्षा के दिन तक उसे इनमें से उसे किन-किन बातों का ध्यान रखना है इस बातों को बच्चे को समझाएं। अंतिम समय में तैयारी संबंधित कृषि प्रकार का दबाव बच्चों के दिमाग में ना हो और उसे जो तैयारी हुआ है उसको अच्छी तरह से भली भांति परीक्षा के दिन कैसे उपयोग करेगा इस पर हमें आप फोकस करने की जरूरत है तो चलिए हम प्रत्येक बिंदु पर विस्तार पूर्वक चर्चा करें कि बच्चा परीक्षा के दिन या उससे पहले किसी टेस्ट के समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखें :

1. समय का प्रबंध :

इस परीक्षा में तीन खंडों पर प्रश्न पूछे जाते हैं जिसमें से प्रथम खंड मानसिक योग्यता के 40 प्रश्न दूसरे खंड में अंकगणित के 20 प्रश्न तथा तीसरे खंड भाषा परीक्षण के लिए चार अनुच्छेद दिए जाते हैं इन चार अनुच्छेदों में पांच-पांच करके कुल 20 प्रश्न पूछे जाते हैं। इन तीन खंडों में समय का प्रबंध कैसे किया जाए ताकि बच्चा सभी प्रश्नों को आसानी से हल कर सके इस पर चर्चा करते हैं :

खंड 1 मानसिक योग्यता परीक्षण :

इस खंड में मानसिक योग्यता संबंधी 10 अलग-अलग प्रकार असाब्दिक प्रश्न दिए जाते हैं। इस भाग के लिए नवोदय विद्यालय द्वारा 60 मिनट का समय माना गया है किंतु हमारे अनुसार यदि बच्चा इस भाग में 60 मिनट का समय लेता है, तो उसे आगे की दोनों खंडों के लिए समय कम पड़ जाते हैं और पूरे प्रश्न हल नहीं कर पाते। इस खंड के प्रश्नों को हल करने के लिए हमारे अनुसार 30 से 40 मिनट का समय पर्याप्त है यदि हम 30 से 40 मिनट के समय में इस खंड को हल कर लेते हैं, तो हमें आगे की दो खंडों को पूरा करने में अधिक समय मिलेगा और हम अंक गणित जैसे कठिन विषय के सभी प्रश्नों को बिना किसी दबाव के आसानी से हल कर सकते हैं तथा भाषा परीक्षण में दिए गए अनुच्छेदों को सावधानीपूर्वक पढ़कर अच्छे से समझ कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर निकाल सकते हैं।

खंड 2 अंक गणित परीक्षण :

इस खंड में कुल 20 प्रश्न पूछे जाते हैं सभी प्रश्न अंक गणित के अलग-अलग अध्यायों से लिए जाते हैं। वैसे तो गणित के प्रश्न के लिए 30 मिनट का समय निर्धारित है किंतु यदि हम खंड एक से बचे हुए समय का प्रयोग खंड दो अर्थात अंक गणित के खंड में करते हैं तो अंक गणित के प्रश्नों को हल करने के लिए हमें 50 से 60 मिनट का समय प्राप्त हो जाता है। इससे हम अंक गणित के कठिनतम प्रश्नों को भी, बिना किसी दबाव के हल कर पाते हैं। हमारे अधिकतम प्रश्न सही हो जाते हैं। अंक गणित के प्रश्न को पूरा करने के लिए हमारे अनुसार निर्धारित समय 50 से 60 मिनट है।

खंड 3 भाषा परीक्षण :

जैसे कि ऊपर बताया जा चुका है कि भाषा परीक्षण के लिए चार अपठित गद्यांश से संबंधित 20 प्रश्न पूछे जाते हैं। इन अपठित गद्यांशों को सावधानीपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर देने के लिए निर्धारित समय 30 मिनट है। यदि बच्चा इसे सावधानीपूर्वक पढ़कर तथा नीचे दिए गए प्रश्नों को समझ कर हल करें तो 30 मिनट के निर्धारित समय इसे हल करने के लिए पर्याप्त है। तो हमें प्रथम खंड एवं द्वितीय खंड में अचछे से समय का प्रबंध कर तीसरे खंड के लिए कम से कम 30 मिनट का समय बचाए रखने की आवश्यकता है।

2. भूल-भुलैया :

भूल-भुलैया का मतलब परीक्षा पेपर में कुछ ऐसे प्रश्न होते हैं जिसमें बच्चा अटक या लम्बे समय तक रुक जाता है तथा हल करने में अधिक समय लेता है। इस प्रकार के कई तरह के प्रश्न हमारे सामने आते हैं। जैसे बच्चों को लगता है कि यह प्रश्न मैं हर हाल में हल कर ही लूंगा। किंतु बार-बार हल करने पर भी कभी सही उत्तर नहीं निकाल पाता और वह फिर से उसी को हल करने में लगा रहता है। यह सोचकर कि यह प्रश्न हल हो ही जाएगा। और समय का ध्यान नहीं दे पाता। कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं जिसका उत्तर वह निकाल लेता है किंतु वह उत्तर उसे सही नहीं लगता और फिर से बनता है इसी तरह वह लंबे समय तक एक ही प्रश्न में रुका रहता है इस कारण से उसका उपयुक्त समय प्रबंधन की कड़ी है टूट जाती है। इस तरह एक ही प्रश्न पर वह 10 से 15 मिनट का समय समाप्त कर देता है जिसके कारण उसके आगे आने वाले शेष प्रश्नों के लिए समय कम पड़ने लगता है। उसपर दबाव बढ़ने लगता है इस कारण से बहुत सारे सरल प्रश्न भी गलत होना शुरू हो जाता है और वह अंततः बहुत सारे ऐसे प्रश्नों को गलत कर जाता है जिसे वह समय होने पर आसानी से हल कर सकता था। तो ध्यान रखें और बच्चों को बताएं कि किसी एक प्रश्न पर यदि वह 2 से 3 मिनट तक रुकता है और उसके बाद भी हल नहीं कर पता तो उसे उस प्रश्न को उस समय छोड़कर आगे बढ़ बढ़ जाए और अंत में सभी प्रश्नों को हल करने के बाद समय बचाने पर ऐसे छोड़े हुए प्रश्नों को फिर से समय देकर हल करें ताकि वह सरल प्रश्नों को समय के दबाव के कारण किसी प्रकार का गलती ना करें।

3 . ओवर स्पीड :

जैसे कि ऊपर समय प्रबंधन के बारे में बताया गया है कि प्रत्येक खंडों को स्वयं के द्वारा निर्धारित निश्चित समय लेकर हल करें। प्रत्येक खंड के लिए वह जितना समय वह निर्धारित किया है उसके आधार पर हल करें या खुद उसमें कुछ मिनट का काम ज्यादा हेर फेर करके अपने योग्यता के अनुसार समय प्रबंधन जो किया हुआ है उस समय प्रबंधन के आधार पर यदि बच्चा हल करते हुए आगे बढ़ता है तो उसके परीक्षा के सभी प्रश्नों पर उसका पकड़ बना रहेगा और अधिक से अधिक प्रश्न सही होने की संभावना बढ़ेगी। जैसे कोई बच्चा सरल प्रश्नों को देखकर ज्यादा उत्साहित हो जाता है और किसी प्रश्न पर बहुत ही कम समय देकर अति उत्साह के कारण जल्दी बाजी करता है तो हम इसे “ओवर स्पीड” के नाम से जानते हैं और इसी जल्दी बाजी की कारण उसके सरलतम प्रश्न भी गलत हो जाते हैं।

कई बार देखा गया है कि परीक्षा के लिए निर्धारित 2 घंटे समय वाली इस पेपर को बहुत से बच्चे 1 घंटे 30 मिनट या इससे भी कम समय में पूरा कर देता है। इस ओवर स्पीड के कारण उसके बहुत सारे प्रश्न गलत हो जाते हैं और अंत में उसके समय भी बच जाते हैं। तो इस जल्दी बाजी या ओवर स्पीड जैसे बातों से बचने के लिए हमें सभी खंडों के लिए समय का प्रबंधन और सरलतम प्रश्नों में भी कुछ समय देकर उसे हल करने की जरूरत है ताकि जल्दी बाजी में किसी भी सरलतम प्रश्न भी गलत ना हो।

इस पोस्ट के भाग – 2 में और भी महत्वपूर्ण बतें जारी रहेगा…..

एकाग्रता भंग,
अति आत्मविश्वास,
बैचैनी,
घबराहट या डर,
अध्ययन चूक आदि।

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