सीखने (परीक्षाओं की तैयारी) के लिए माध्यम तथा शैली का विशेष महत्व है। एक ही पाठ (प्रश्न) को अलग-अलग शिक्षक अपने-अपने तरीके से सीखाने का प्रयास करता है। इसी प्रकार प्रत्येक बच्चों में भी सीखने की शक्ति और तरीके अलग-अलग होते हैं। आज के इस लेख में नवोदय तैयारी के लिए कौन से तरीका अपनाएँ कि बच्चे को अधिक फायदा हो, इस बात पर चर्चा करेंगे।
सबसे पहली बात हमें बच्चे की रूचि पर ध्यान देना होगा। ये रूचियाँ हैं –
- क्या बच्चा जवाहर नवोदय विद्यालय जाना चाहता है ?
- बच्चा नवोदय की तैयारी के लिए किस शिक्षक को अच्छे से समझ लेता है। (यहाँ शिक्षक से आशय है जो भी व्यक्ति बच्चे की तालीम कराता है)
- तैयारी के लिए क्लास – आनलाईन, आफलाईन, घर पर स्वयं की तैयारी, पारिवारिक सदस्य आदि में से बच्चा किस क्लास पर अधिक रूचि रखता है। आदि ऐसे बातों का हमें ध्यान देना होगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम (माता-पिता या अभिभावक) अपनी महत्वकांक्षा को बच्चे के ऊपर लाद या थोप तो नहीं रहे हैं।
दूसरी बात यह देखें कि बच्चे को कौन-कौन से अध्ययन सामग्रियों में अधिक रूचि है तथा किस शिक्षण अधिगम (आनलाईन, आफलाईन, स्वयं तैयारी आदि) को अधिक रूचि के साथ तैयारी कर सकता है या समझ सकता है। कहीं ऐसा न हो कि हम लुभावने विज्ञापनों से प्रभावित होकर बच्चे को उस भीड़ में शामिल तो नहीं करने जा रहे हैं जो केवल दिखावा मात्र है। इन बातों पर हमें (माता-पिता या अभिभावक को) चिन्तन करने की जरूरत है।
अब हम बात करेंगे तीसरे बिन्दु पर। हम अपने बच्चे को अपने आस-पास उपलब्ध चाहे जो कुछ भी सुविधाओं से तैयारी करवा रहे हों, एक बात ध्यान देना होगा कि साप्ताहिक या पाक्षिक टेस्ट अपने घर पर अवश्य कराएँ और देखें कि बच्चे में सीखने का स्तर वृद्धि हो रहा है या नहीं। यदि नहीं तो ऊपर की पहले तथा दूसरे बिन्दु में बताए गए बातों पर गौर करने की जरूरत है, या हमें कुछ और नये उपायों की तलाश करने होंगे।
चौथी बात, बच्चे को प्रेशर कुकर न बनाएँ। मतलब उसे बार-बार न बोलें कि तुम्हारा तैयारी कमजोर है, तुम्हारा चयन नहीं होगा आदि नाकारात्मक बातों से दूर रखें तथा साकारात्मकता बढ़ाने का प्रयास करें।
अंत में संक्षिप्त रूप से कहा जाए तो नवोदय तैयारी के लिए उपलब्ध संसाधन और सुविधाएँ जैसे – किताबें, आनलाईन सामग्रियाँ, आफलाईन कक्षाएँ, आनलाईन कक्षाएँ सभी अपनी-अपनी खास विशेषताओं के साथ उत्तम और उपयोगी हैं। प्रत्येक शिक्षक अपने विद्यार्थियों को योग्य बनाने के लिए अपने असीम ऊर्जा के साथ निःस्वार्थ मेहनत करता है। बस हमें सही निर्णय के साथ अपने बच्चे को उसके क्षमता और रूचि के अनुसार अवसर देने के लिए वातावरण तैयार करना होगा।
इस तरह नवोदय तैयारी करने वाले बच्चों पर माता-पिता या अभिभावक को बराबर ध्यान बनाए रखने की जरुरत है। यहीं पर ही सलेक्शन का रास्ता छिपा है, कहीं जाने की जरुरत नहीं।
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