TRANSLATE IN YOUR LANGUAGE
बाबा आमटे ने समाज द्वारा तिरस्कृत कुष्ठ रोगियों की सेवा में अपना समस्त जीवन समर्पित कर दिया। सुन्दरलाल बहुगुणा ने अपने प्रसिद्ध चिपको आन्दोलन के माध्यम से पेड़ों का संरक्षण प्रदान किया। मदर टेरेसा जैसी महान आत्माओं ने इसी सत्य को ग्रहण किया। इनमें से किसी ने भी कोई सत्ता प्राप्त नहीं की, बल्कि अपने जनकल्याणकारी कार्यों से लोगों के दिलों पर शासन किया। गाँधी जी का स्वतंत्रता के लिए संघर्ष उनके जीवन का एक पहलू है। किन्तु उनका मानसिक क्षितिज वास्तव में एक राष्ट्र की सीमाओं में बंधा हुआ नहीं था। उन्होंने सभी लोगों में ईश्वर के दर्शन किए यही कारण था कि कभी किसी पंचायत तक की सदस्य नहीं बनने वाले गाँधी जी की जब मृत्यु हुई तो, अमेरिका का राष्ट्रध्वज भी झुका दिया गया था।
1. बाबा आमटे साहब किस रोगियों के प्रति समर्पित थे-
2. चिपको आन्दोलन किसके लिए विख्यात थे-
3. अनुच्छेद में प्रयुक्त तिरस्कृत शब्द का विलोम होगा-
4. गद्यांश में किस महापुरुष की चर्चा नहीं की गई है-
5. महापुरुषों की मानसिक स्थिति किसमें बँधी हुई नहीं थी-
एक बार भगवान बुद्ध के शिष्य आनंद ने पूछा ’’भगवान जब आप प्रवचन देते हैं, तो सुननेवाले नीचे और आप ऊँचे आसन पर बैठते हैं, ऐसा क्यों ?’’ भगवान बुद्ध ने पूछा कि- ‘‘पानी झरने के ऊपर खड़े होकर या नीचे जाकर पिया जाता है।’’ शिष्य ने उत्तर दिया- ‘‘झरने के पानी नीचे गिरता है इसीलिए नीचे जाकर ही पिया जा सकता है।’’ तब भगवान बुद्ध ने कहा- ‘‘ठीक इसी प्रकार किसी से कुछ पाना है, तो स्वयं को नीचे लाकर ही प्राप्त कर सकते हैं, और तुम्हें देने के लिए दाता को ऊपर खड़ा होना होगा।’’ भगवान बुद्ध ने फिर कहा कि- ‘‘इतिहास गवाह है कि वहीं लेने वाला सबसे ज्यादा फायदे में रहता है जो पूर्ण समर्पण और विश्वास के साथ पाना चाहता है जबकि अविश्वास के साथ पाने की इच्छा रखने वाला हमेशा स्वयं को रिक्त ही महसूस करता है।’’
7. गुरु के संदर्भ में शिष्य का स्थान कहाँ उचित है-
8. अविश्वास के साथ पाने की इच्छा रखने वाला शिष्य स्वयं को कैसा महसूस करता है-
9. शिष्य को अधिक ज्ञान प्राप्ति का लाभ लेने के लिए कैसा होना चाहिए-
10. निम्न में समर्पण का अर्थ नहीं है-