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कश्मीर घाटी ऊँची पहाड़ियों से घिरा है। इसका धरातल तस्तरीनुमा है। हजारों साल पहले यहाँ बहुत बड़ी झील थी जिसमें चारों तरफ की पहाड़ियों से कई नदी-नालों का पानी बहकर आता था। ये नदी-नाले अपने साथ लाए अवसाद (मिट्टी, गाद, क्ले आदि) को कई सालों तक इस झील में जमा करते रहे। पृथ्वी की आन्तरिक प्रक्रिया के कारण पीरपंजाल श्रेणी ऊपर उठने लगी जिससे झील का पानी बाहर निकल गया और इस पहाड़ी कगारों पर सीढ़ीनुमा खेत बने जो खेती के लिए काफी उन्नत हैं। इसे "करेवा" कहते हैं। यहाँ की क्षेत्रीय भाषा में इसे "वुद्रा" भी कहते हैं। इस सीढ़ीदार भूमि पर बेशकीमती केसर या जाफरान की खेती होती है। केसर के फूल से वर्तिकाग्र को अलग किया जाता है तथा इसका उपयोग कई औषधियों के लिए तथा जायकेदार खाना बनाने के लिए मसाले के रूप में करते हैं। कश्मीरी केसर दुनियाभर में मशहूर है।
1. कश्मीर घाटी के चारो तरफ स्थित है -
2. कश्मीर घाटी का जमीन है-
3. "करेवा" किसे कहते हैं-
4. केशर की प्राप्ति होती है -
5. "बेशकीमती" का अर्थ नहीं है-
सन् 1960 के दशक से हरित क्रान्ति की योजना की शुरुआत की गई। उन्नत बीज, रासायनिक खाद, सिंचाई सुविधा, कीटनाशकों आदि का उपयोग करके उत्पादन में वृद्धि की गई। फसलों के अधिक उत्पादन की चाह में कृषक वर्ग द्वारा अपनी भूमि में रासायनिक खाद व कीटनाशकों का अधिक प्रयोग किया जाने लगा। फलस्वरूप उत्पादन में वृद्धि हुई। इससे अनाज भंडारण बढ़ा, अकाल पर काबू पा लिया गया और खाद्य सुरक्षा संभव हो पाई।
भूमि में कई प्रकार के सूक्ष्म जीव मौजूद होते हैं। इन सूक्ष्म जीवों की सड़न (अपघटन) के कारण तरह-तरह के पोषक तत्व भूमि में बनते रहते हैं किन्तु रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों में कई ऐसे रसायन होते हैं जो भूमि में मौजूद सूक्ष्म जीवों को प्रभावित करते हैं। रसायनों के प्रभाव से सूक्ष्म जीव भी मर जाते हैं। इन सूक्ष्म जीवों के नहीं रहने कृषि भूमि की ऊर्वरा शक्ति धीरे-धीरे कम होती जाती है।
6. हरित क्रान्ति की योजना की शुरुआत की गई
7. किस योजना से कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई-
8. भूमि में मौजूद सूक्ष्म जीवों को प्रभावित करते हैं-
9. सूक्ष्म जीव कृषि भूमि की ऊर्वरा शक्ति को .....।
10. "खाद्य सुरक्षा" का अर्थ है-