कक्षा छठवीं के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा 2024–25 से नये सिलेबस में “कोण के प्रकार एवं उसके सरल अनुप्रयोग” को नये अध्याय के रूप में पहली बार समावेश किया गया है। इस समय (JNVST 2024-25) तक उपलब्ध पुस्तकों में इस अध्याय से संबंधित बहुत कम ही अध्ययन सामग्री देखने को मिलता है। इस लेख के माध्यम से हम बताने का प्रयास करेंगे कि जवाहर नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा में कोण एवं इससे संबंधित किन-किन प्रकार के प्रश्नों की तैयारी पर हमें फोकस करना चाहिए ताकि हम प्रवेश परीक्षा में अच्छे रैंक के साथ सफलता प्राप्त कर सकें।
सबसे पहले हमें कोण क्या है ? इसे जानना बहुत जरूरी है और इसे कैसे बनाया जाता है ? कोण को किस तरह से मापा जाता है ? इसे बनाने के लिए कौन-कौन सी सामग्रियों की आवश्यकता होती है ? इसकी तैयारी सर्वप्रथम आपको करना चाहिए। इन सभी बातों की तैयारी हो जाने के बाद अन्य क्या-क्या तैयारी करने की आवश्यकता है उसके लिए हम नीचे क्रमबद्ध जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।
कोण के प्रकार :
कोण क्या है ? इसे कैसे बनाया जाता है ? इसे कैसे नापा जाता है ? इसके लिए क्या-क्या सामग्रियों की आवश्यकता होती है ? ये सभी बातों को जानने के पश्चात हमें सर्वप्रथम कोणों के प्रकार के बारे में जानने की आवश्यकता है। जैसे कि आपको कोण के विभिन्न प्रकारों को जानना है। इसके लिए यहाँ नीचे एक लिंक दिया जा रहा है, जिससे आप कोण के सभी प्रकारों का अच्छे से अध्ययन कर सकते हैं।
कोण के नाम :
कोण के प्रकार के बाद हमें जानना है कोण के नाम। ध्यान रहे कई लोग कोण के प्रकार और कोण के नाम को एक ही तरह से समझते हैं किन्तु यह एक ही प्रकार की बातें नहीं है। जैसे कि एक ही प्रकार के कोण के अलग-अलग नाम (पर्यायवाची) होते हैं। उन अलग-अलग नाम को हमें अच्छे से समझना और जानना चाहिए। ध्यान रहे एक ही प्रकार के कोण के हिंदी में भी अलग-अलग (पर्यायवाची) नाम होते हैं साथ ही अंग्रेजी को भी हमें जानने की आवश्यकता है।
जैसे – सरल कोण या ऋजुकोण, Straight angle
(आगे इस बिंदु पर आधारित एक अलग से लेख उपलब्ध कराएंगे)
दो कोणों के बीच संबंध :
एक ही आकृति पर बने दो कोणों के बीच आपस में कुछ ना कुछ संबंध होता है। जैसे कि त्रिभुज, चतुर्भुज आदि या एक ही बिंदु से जाने वाली दो से अधिक किरणों द्वारा या विभिन्न रेखाओं के मिलने से बनी आकृतियों में दो या दो से अधिक कोण होते हैं। इन कोणों के बीच आपस में कुछ ना कुछ संबंध होता है। इन संबंधों का ज्ञान हमें होना चाहिए। साथ ही साथ इन कोणों का अलग-अलग नाम भी होता है। जैसे कि पूरक कोण, संपूरक कोण, सम्मुख कोण आदि। इनके नाम के भी पर्यायवाची नाम होते हैं। इसका भी हमें अच्छे से ज्ञान होना चाहिए।
जैसे – कोटिपुरक कोण या पूरक कोण, complementary angle
(आगे इस बिंदु पर आधारित एक अलग से लेख उपलब्ध कराएंगे)
इसके लिए यहाँ नीचे एक लिंक दिया जा रहा है, जिससे आप दो कोणों के बीच के संबंध को समझ सकते हैं।
कोणों का माप ज्ञात करना :
उपर्युक्त बिंदुओं का अध्ययन कर लेने के पश्चात हमें किसी आकृति, एक ही बिंदु से निकलने वाली किरणों, विभिन्न रेखाओं के मिलने से बनने वाली कोणों में से किन्ही एक या अधिक कोणों का माप ज्ञात करने की विभिन्न विधियों का अध्ययन करना चाहिए।
विशेष – हमारी ऑनलाइन कक्षाएँ बहुत जल्द ही।
ऐसे ही महत्वपूर्ण विषयों पर हमारी लेख उपलब्ध होते रहेंगे हमें सपोर्ट करने के लिए हमारे पोस्ट को अधिक से अधिक ग्रुप में शेयर अवश्य करें। धन्यवाद !