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प्रायः परी कथाओं तथा कल्पित कहानियों में लोमड़ी का वर्णन चालाक तथा चतुर प्राणी के रूप में किया जाता है। यह अपने शत्रुओं को धोखा देकर बच निकलने तथा शिकार को खोज निकालने में बहुत कुशल होती है। यह रात्रिचर प्राणी है। दिन में यह सोती रहती है और रात में अकेले या जोड़े में शिकार करती है। लोमड़ी अपनी विशेष आवाज और सूंघने की शक्ति से अन्य लोमड़ियों से संपर्क स्थापित करती है। भारतीय लोमड़ी पतले हाथ-पैरों वाली और स्लेटी रंग की होती है जिसकी पूंछ का सिरा काला और कान तिकोने होते हैं। उत्तर पश्चिमी सीमांत को छोड़कर यह संपूर्ण भारत में पायी जाती है तथा झाड़ियों और खेतों में रहती है। लोमड़ी, चूहे, सरीसृप, केकड़े, दीमकों के साथ-साथ फल भी खाती है। खाल और मांस के लिए इसका शिकार होने तथा खेतों में कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग ने इसकी संख्या काफी कम कर दी है।
1. लोमड़ी का दूसरा नाम क्या है ?
2. लोमड़ी का भोजन नहीं है-
3. लोमड़ी अपने साथियों से सम्पर्क करने के लिए उपयोग करता है-
4. वर्तमान में लोमड़ियों की संख्या घट रही है। निम्न में से इसका सही कारण नहीं है-
5. ............. को छोड़कर लोमड़ी संपूर्ण भारत में पायी जाती है।
पंचायतें जमीनी स्तर की संस्थाएँ हैं, इसलिए उनको पता है कि किस तरह से किसी भी समस्या का समाधान प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। स्वच्छता भी ऐसी ही समस्या है। पंचायतें अगर ठान लें कि गाँव को स्वच्छ करना है तो वे कर सकती हैं। ग्राम सरपंच/प्रधान को इस कार्य में सभी को साथ लेकर चलना है। अगर वे ऐसा करेंगे तो यह एक आंदोलन का रूप भी ले सकता है। विभिन्न ग्राम पंचायतें ग्रामीणों की सफलता की मिसालें हैं। चूँकि स्वच्छता एवं सफाई की समस्या मूल रूप से व्यक्तिगत एवं सामाजिक है, अतः पंचायतें इसके समाधान के लिए ग्रामीण समाज को अपने साथ लेकर चलें और उचित प्रकार से सामाजिक लामबंदी करें ताकि स्वच्छता के लिए लोग जागृत होकर उसे जीवन में अपनाएँ।
6. ग्रामीण समस्याओं का समाधान अच्छे से कौन कर सकता है-
7. गाँव को स्वच्छ करना है तो ........... को साथ लेकर चलना है।
8. मूल रूप से स्वच्छता एवं सफाई की समस्या है -
9. किसे स्वच्छता को जीवन में अपनाने की बात कही गई है-
10. "स्वच्छता एवं सफाई" में सम्बन्ध है-