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हमें कई मोड़ में असफलताओं का सामना करना पड़ता है। एक असफलता पूरी जिंदगी को परिभाषित नहीं करती। सितारों के आगे जहाँ और भी है। सफलता की राह अभी बंद नहीं हुई है। अपना प्रयास हमेशा जारी रखना होगा, पता नहीं कौनसी मंजिल हमारी राह देख रही हो। हमें अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को अनदेखा न कर परिवार और दोस्तों से कटकर बिल्कुल अकेले रहने का रवैया हमारी कोई मदद नहीं करेगा, बल्कि तनाव और अवसाद ही बढ़ाएगा। यदि हम स्वयं को अवसाद या दुश्चिता से ग्रस्त महसूस करें तो किसी काउंसलर या क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट से सलाह लेने में बिल्कुल न हिचकिचाएँ । स्वस्थ रहें, सहज रहें, व्यस्त रहें, मस्त रहें। "माँझी- द माउंटेन मैन" फिल्म के नायक दशरथ माँझी की तरह हर मोड़ पर 'शानदार- जबरदस्त - जिंदाबाद" का मंत्र गुनगुनाते रहें ।
1. कोई एक असफलता के बाद हमें क्या करना चाहिए ?
2. अकेलापन से कौनसी बिमारी उत्पन्न हो सकती है
3. हमें सायकोलॉजिस्ट से सलाह कब लेना चाहिए-
4. दशरथ मांझी का मूलमंत्र था -
5. दुविधा, असमंजस, संकोच, झिझक निम्न में किस से शब्द से मेल खाता है-
जब कोई वस्तु प्रकाश के मार्ग में रुकावट पैदा करती है, तो उस वस्तु की छाया उत्पन्न होती है। छाया इस बात पर निर्भर करता है कि वस्तु प्रकाश के लिए कितनी अपारदर्शक है। पूर्णतः पारदर्शक वस्तु की छाया नहीं बनती। परंतु वास्तविकता में अधिकांश वस्तुएँ पूर्णतः पारदर्शक अथवा अपारदर्शक नहीं होती हैं। वस्तु अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश की कुछ मात्रा को परावर्तित करती हैं, कुछ मात्रा को अपवर्तित करती है व कुछ मात्रा को अवशोषित करती हैं। हमने यह भी देखा है कि प्रकाश हमेशा सरल रेखीय पथ पर गमन करता है। यही कारण है कि हमें दूसरे कमरे में रखी वस्तु दिखाई नहीं देती है। वस्तु पर पड़ने वाली प्रकाश दिशा बदलकर दूसरी दिशा में गमन करने को परावर्तन, वस्तु को पार करके निकल जाने को अपवर्तन तथा वस्तु द्वारा रोक लिए जाने को अवशोषण कहते हैं।
6. उपर्युक्त अनुच्छेद किस बारे में है-
7. प्रकाश के मार्ग में रूकावट पैदा करती है-
8. किसी वस्तु पर पड़ने वाला प्रकाश का किसी दूसरे दिशा में लौटना कहलाता है-
9. प्रकाश का अपवर्तन कहलाता है-
10. निम्न में से किस वस्तु पर प्रकाश का अवशोषण अधिक होगा-