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मानव के जन्म से मृत्यु तक वृक्ष उसका साथी है | वृक्ष हमे नैतिकता एवं परोपकार का भी संदेश देते है | आज का भौतिकतावादी मानव अपनी सुख सुविधाओं के लिए वृक्षों की अंधाधुंध कटाई कर रहा है | इससे पृथ्वी के वनक्षेत्र के प्रतिशत में कमी आ गयी | वैज्ञानिक आकंडे बताते है कि पर्यावरण संतुलन के लिए पृथ्वी के भूभाग का 33 प्रतिशत वन होना चाहिए | वृक्षों की कमी, मानव में जनसंख्या वृद्धि , फैक्ट्रियो एवं वाहनों से निकलने वाले धुएं एवं आणविक परीक्षण हमारे पर्यावरण को दिनोदिन प्रदूषित करते जा रहे है | इसके फलस्वरूप पृथ्वी पर वर्षा की कमी आ गयी है | मनुष्य की आयु घट रही है | पृथ्वी का तापक्रम बढ़ रहा है और सबसे खतरे की बात तो यह है कि हमारी सुरक्षा कवच ओजोन परत में छिद्र होने जा रहा है | ये सब मानव जाति के अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी है |
1. संतुलित पर्यावरण के लिए किसी क्षेत्र में वन होना चाहिए-
2. वृक्ष परोपकार का संदेश देता है-
3. ओजोन परत कहाँ होती है-
4. वाहनों के धुएं से होता है-
5. "खतरे की घंटी" का अर्थ है-