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आज हमारे जीवन और समाज के सभी क्षेत्रों में जो अनेक प्रकार की बुराइयाँ, अनेक तरह के अत्याचार, अन्याय, आपाधापी और अराजकता विद्यमान है। उन बुराइयों में छूत की बीमारी की तरह निरन्तर बढ़ती ही जा रही है जिसका एक नाम है-मिलावट। मिलावट का सामान्य अर्थ हैं प्राकृतिक तत्त्वों, पदार्थों में बाहरी, बनावटी या अन्य तत्त्वों-पदार्थों का मिश्रण कर देना। इस बात की चिन्ता किए बिना कि ऐसा करने का परिणाम कितना घातक, कितना जानलेवा साबित हो सकता है। अधिक-से-अधिक मुनाफा कमा कर रातो-रात धन्ना सेठ बन जाने के सपने देखने वाले लोग ही अक्सर इस तरह के कुकृत्य किया करते है। आज शायद ही बाजार मे कोई चीज शुद्ध मिलती हो। पहले दूध में पानी. शुद्ध घी मे चर्बी मिलाने की बात सुना करते थे, आज तो हर चीज मिलावट वाली हो गई है। स्वार्थी लोग सीमेण्ट मे राख, चाय मे रंगा हुआ लकड़ी का बुरादा, जीरे मे लीद, केसर मे सन के रेशे रंग कर और खाने के रंगों में लाल-पीली मिट्टी मिलाने लगे है।
1. किस बुराई को छूत के बीमारी की संज्ञा दी गई है ?
2. घी में कौन सी वस्तु मिलाई जा सकती है ?
3. सन के रेशे को किस रंग में रंगकर केशर में मिलाया जाता है ?
4. मिलावट क्यों की जाती है ?
5. ‘‘जो केवल अपने हित के लिए काम करता है।’’ इस वाक्य के लिए एक शब्द है-