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सभी लोग वस्त्र पहनते हैं । वस्त्र मौसम तथा ऋतु के अनुकूल होते हैं। दर्जी अलग- अलग व्यक्तियों के अनुरूप वस्त्र सिलकर समाज की मदद करता है । वह वस्त्रों पर कारीगरी करता है जिससे पोशाक सुंदर दिखाई देने लगती है । दर्जी का काम बहुत मेहनत का है। वह सिलाई मशीन एवं अन्य औजारों को रखता है । कैंची, सुई – धागा, माप लेने का फीता, स्केल, पैंसिल, हैंगर आदि उपकरणों को हमेशा रखता है । वह वस्त्रों को मापता है । वह व्यक्ति की सही माप लेता है और वस्त्रों पर या रसीद बही पर उस माप को दर्ज कर लेता है । वस्त्रों की सिलाई पूर्ण होने पर वह उनमें बटन आदि लगाने का काम हाथों से करता है । अंत में वह वस्त्रों पर इस्तरी करता है और वस्त्रों को मोड़कर हैंगर पर लटका देता है । उसकी मेहनत से तैयार शोभायुक्त वस्त्रों को पहनकर व्यक्ति स्वयं को गौरवान्वित समझता है ।
1. वस्त्र को सिलने क काम कौन करता है ?
2. दर्जी के किस कार्य से वस्त्र सुन्दर दिखाई देता है ?
3. दर्जी कौन सा काम हाथों से नहीं करता ?
4. दर्जी, व्यक्ति का सही माप लेने के लिए कौनसा औजार का उपयोग करता है ?
5. अनुच्छेद में दर्जी के लिए कौनसा सर्वनाम शब्द आया है ?